आराधना कविता प्रतियोगिता हेतु कविता# प्रतियोगिता
आराधना स्वैच्छिक कविता प्रतियोगिता हेतु कविता# प्रतियोगिता
आराधना
कोई हो मेरे जज्बातों का कद्रदान,
तो कोई हो मेरी दुर्बलताओं पर मेहरबान।
मुझे रहे अपनी सीमाओं का ध्यान,
करूँ मैं जनहित का सदा ही कल्याण।
मेरे हर कार्यो में हो जीवंत प्राण,
हर पल जानू किस हार में कितना सुख- दु:ख पिरोना है।
कितना दु:ख पाना है कितने सुख से हाथ धोना है,
अपनी कामयाबी का प्रभु मुझे ना गुमान रहे।
मुझे अपनी संस्कार का ध्यान रहे,
कोई हो मेरे भावों का कद्रदान।
तो कोई दे मेरे हर घावों को सम्मान ।
मुझमें घमंड की भावना जड़ा न हो,
जो मेरे जमीर से बड़ा न हो।
जो किसी से सहा न जाए,
जो मुझको बहका न पाए,
कंधों पर जिम्मेदारी का बोझ हो,
धरती पर किसी के प्रति न क्रोध हो।
मुझे अपनों का ध्यान हो,
जिसमें जन के सपनों का कल्याण हो।
कोई बने दु:खहरण जिसको सारी दुनिया दे अपने हृदय में शरण,
इस भाव से जुड़ा मेरा आन-बान और शान हो।
लोगों के हृदय से फूटे नित यही गानगान।
यही है प्रभु आपसे प्रार्थना,
इन्हीं चंद लब्जो में जुड़ी है मेरी आराधना ।।
डॉ. नवनीता गुप्ता (डेंटल सर्जन)
जमादार टोला, बेतिया।
Shashank मणि Yadava 'सनम'
14-Sep-2023 09:12 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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प्रवीण कुमार Dishawar
13-Sep-2023 04:15 PM
बढ़िया अभिव्यक्ति
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